मीडिया और पत्रकारों की स्वंतत्रता के आधार पर प्रतिवर्ष विभिन्न देशों को सूचकांक में रैंक दी जाती हैं, भारत की रेंक 142 वी आयी है।
यह सूचकांक गैर सरकारी संगठन (NGO) ” रिपोटेर्स सेन्स फ्रंटियर्स के द्वारा सन 2002 से जारी की जा रही है ।
इसका मुख्यालय पेरिस में तथा ये गैर सरकारी संगठन (NGO) सयुंक्त राष्ट्र संघ और यूनेस्को के सलाहकार भी है।
आंकलन का आधार –
• मीडिया की बहुलता और स्वंतत्रता
• देश के कानूनों की मीडिया पर असर
• पत्रकारों के साथ होने वाली हिंसा और दुर्व्यवहार सबंधी घटनाये
• पत्रकारों को काम की स्वंतत्रता
आंकलन का तरीका –
• यह सूचकांक दुनिया भर के विशेषज्ञों के द्वारा विश्व की 20 भाषाओं में एक प्रश्नावली तैयार करी गई।
• देशों के लोगो और पत्रकारो के उत्तर के आधार पर यह सूचकांक जारी किया जाता है।
सूचकांक 2021 के प्रमुख बिंदु –
• इस सूचकांक में 180 देशों को रैंक दी गई जिसमें नॉर्वे लगातार 5 वी बार पहले स्थान पर आया है।
• दुसरा फिनलैंड तथा तीसरा स्थान स्वीडन का आया है।
• सूचकांक में 180 वे पर इरिट्रिया तथा 179 उत्तरी कोरिया , 178 तुर्कमेनिस्तान , 177 पर चीन आया हैं।
• भारत 142 वें एवं अमेरिका 44 वीं रेंक आयीं।
• रिपोर्ट के आधार पर सब देशो को 5 भागों में विभाजित कर दिया गया है।
1 अच्छी हालात
2. संतोषजनक हालात
3. समस्याग्रस्त हालात
4. खराब हालात
5. बहुत खराब हालात
• सूचकांक के अनुसार 73%(143)देशों के हालात समस्याग्रस्त या उससे ज्यादा खराब है।
भारत का प्रदर्शन –
• वर्ष 2016 में भारत 133 वें हालांकि अभी 2020 और 2021 में 142 वें स्थान पर हैं।
• भारत को खराब श्रेणी में रखा गया है।
• पत्रकारिता के लिये खराब देशो में से एक माना जाता हैं।
भारत की खराब रैंक हेतु संभावित कारण –
• पत्रकारो को राष्ट्रवादी सरकारों द्वारा राज्यविरोधी और राष्ट्रविरोधी करार करवा दिया जाता है।
• मिडिया और पुलिस एवं राजनीतिक कार्यकर्ताओ के मध्य झड़प
• अपराध समूहों द्वारा पत्रकारो को धमकाना।
• प्रेस की स्वंतत्रता अंकुश लगाने के लिये राजद्रोह एवं राष्ट्र की गोपनीयता का हवाला दे कर कड़े कानून लागू करना ।
मूल लेखक– राम नारायण विश्नोई
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